शत्रुध्नजीत नरेन्द्र प्रताप गन्ना कृषक इण्टर कॉलेज का इतिहास


मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की राजधानी और भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली के रूप में विख्यात कुशीनगर के ग्रामीण क्षेत्र बरवा खुर्द तत्कालीन देवरिया जिले में बाबू शत्रुध्नजीत नारायण शाही एवं प्रभुनाथी देवी के कुल में तदनुसार मार्ग शीर्ष शुक्ल तृतीया संवत 1979 को अपने जीवनकाल में अपने नाम के अनुरूप ही सर्वसमाज को सुरभित करने वाले बाबू गुलाब शाही का जन्म हुआ । प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों से ग्रहण करने के उपरान्त बी० आर० कॉलेज , आगरा से कृषि विषय से स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की । 1951 ई० में उदित नारायण इण्टर कॉलेज पडरौना में कृषि विषय के प्रवक्ता पद पर आपकी प्रथम नियुक्ति हुई तथा 1952-53 में बैतालपुर में केन मैनेजर के पद को भी सुशोभित किया लेकिन शिक्षा के प्रति विशेष लगाव होने के कारण 1953 में प्रवक्ता पद पर पुनः कार्यभार ग्रहण कर लिया । कृषि क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता तथा लोगों के बीच अतिप्रिय होने के कारण आप केन यूनियन रामकोला ( पी० ) के प्रथम चेयरमैन ( 1970 ) तथा गन्ना विकास समिति लखनऊ के कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी कार्य किया । एक प्रबुद्ध शिक्षाविद तथा प्रखर समाजसेवी के रूप में आप सदैव अपने क्षेत्र के निर्धन किसानों एवं असहाय मजदूरों के बच्चों को ज्ञान रश्मि से आलोकित करने का स्वप्न देखते रहते थे । अपने सपनों को मूर्त रूप देने के लिए अपने पैतृक गाँव सिंगहा में विजयादशमी के पावन अवसर पर रामनवमी के दिन 1965 में ‘ शत्रुध्नजीत नरेन्द्र प्रताप गन्ना कृषक इण्टर कॉलेज ‘ का शिलान्यास एवं शुभारंभ किया । आपके अथक प्रयास एवं शुभेच्छाओं के फलस्वरूप विद्यालय तीव्र गति से पल्लवित एवं पुष्पित होते हुए 1968 में हाई स्कूल एवं 1974 में इण्टरमीडिएट ( मानविकी वर्ग ) तक की मान्यता प्राप्त कर लिया । कृषि विषय में विशिष्टता होने के नाते आपकी प्रबल इच्छा थी कि आपके विद्यालय में भी इण्टर स्तर तक कृषि की मान्यता मिले जिससे की कृषि प्रधान क्षेत्र के लोग जो कि अवैज्ञानिक ढंग से कृषि कार्य करते थे, कृषि शिक्षा का उपयोग खेती – किसानी में भी कुशलता के साथ करते हुए अधिक से अधिक लाभ उठा सकें । आपकी यह अभिलाषा मूर्त रूप ले पाती कि नियति के क्रूर हाथों नें वैशाख शुक्ल दशमी संवत 2041 को असमय ही आपको हमसे छीन लिया ।



        समय का प्रवाह अपनी गति से मंजिल की ओर बढ़ता रहा और उस महाविभूति की इच्छा और आकांक्षा उनके एकमात्र उत्तराधिकारी एवं सुपुत्र श्री देवेन्द्र प्रताप शाही जो कि पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से कृषि स्नातक थे के मन को उद्वेलित करती रहती थी । आपभी अपने पिताश्री की ही तरह सर्वसमाज के कल्याण के बारे में सोचते रहते थे और आपकी ऐसी मान्यता थी कि इस कार्य के लिए शिक्षा से बेहतर हथियार कुछ नहीं हो सकता । अपने स्वर्गीय पिताश्री के सपनों को पूरा करने के लिए उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए आपनें विद्यालय को न केवल इण्टरमीडिएट स्तर तक कृषि की मान्यता दिलवाई बल्कि विज्ञान और वाणिज्य वर्ग की भी मान्यता दिलवाई । अब क्षेत्र के ऐसे बच्चे जो कि शहर में जाकर कृषि , विज्ञान और वाणिज्य की महँगी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते थे, उनकी राहें अत्यंत आसान हो गयीं और उनके सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया । विद्यालय को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए कृत संकल्प बाबू देवेन्द्र प्रताप शाही जी को भी क्रूर काल नें असमय ही 24 अक्टूबर 2021 को हमसे छीन लिया और सारा कार्यभार उनके सुपुत्र डॉ० देवेश प्रताप शाही जी के कन्धों पर आ गया है जिसका वे अद्यतन कुशलतापूर्वक निर्वाह कर रहे हैं ।

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